Madhu Arora

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ओस की बूंद सी

ओस की बूंदों सी ,
निर्मल होती हैं बेटियां।
चांद की चांदनी सी,
 पावन होती है बेटियां।
महकता घर आंगन,
खुशबू सी होती बेटियां।
धीर गंभीर वक्त के साथ ,
बदलती है बेटियां ।
दो कुलो को सदा,
 मिलाती है बेटियां।
चहकती थी जो हर समय,
जिम्मेदार हो जाती हैं बेटियां।
प्यार मां बाप का समेट आंचल में 
चली जाती है बेटियां।।
     रचनाकार ✍️
    मधु अरोरा
  1.2.2023

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6 Comments

Gunjan Kamal

02-Feb-2023 11:20 AM

बहुत खूब

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Abhinav ji

02-Feb-2023 08:51 AM

Very nice 👌

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बहुत ही सुंदर सृजन

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